न द्वार, न घाट || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2015)

2019-11-29 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
११ मार्च २०१५
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

पंक्ति:
या नगरी में लख दरवाज़ा, बीच समन्दर घाट रे||

प्रसंग:
क्या मुक्ति का कोई द्वार है?
मुक्ति की चाह क्यों उठती है? '
घाट' का मतलब बताया है कबीर ने?
'मन' और 'घट' में क्या समानताएं हैं?

Free Traffic Exchange